प्रेम

प्रेम
----------
१-
प्रेम गुब्बारे के
भीतर की हवा तो नहीं
जिसका रिसना जारी रहे
और तुम्हें खबर न हो.

प्रेम जेब में पड़ा
आखिरी 50 का नोट है
जिसको हम
बचाये रखना चाहते हैं
महीने के आखिरी दिनों में!

२-
प्रेम भूख नहीं
हवस के मुहँ पर चांटा है
प्रेम-
बखरी में पड़े कनस्तर में
एक मुट्ठी आटा है
जिसे अम्मा ने
छः बच्चों में बांटा है.

३-
प्रेम देह के लिए देह का
छलावा नहीं
प्रेम आत्म के प्रति दुःखों का
भुलावा है
प्रेम व्यष्टि से समष्टि का बुलावा है.

४-
प्रेम
इंसानियत के कटघरे में
निर्दोष होने का हवाला है
प्रेम
अनशन करते हुए आदमी का
पहला निवाला है.

५-
प्रेम
जेठ की दुपहरी में
धरती से फटे हृदय पर
पानी की बौछार है
प्रेम; पहाड़ सरीखे जीवन पर
स्नेह के हथौड़ों की मार है
प्रेम आज भी
निर्बल व्यक्ति का सबसे बड़ा
हथियार है.

६-
प्रेम लाभ हानि से इतर
सुख और दुःख का सौदा है
प्रेम स्वयं को
तुम्हें
समर्पित करते व्यक्ति का
सबसे सच्चा मसौदा है.

७-
प्रेम;
कोयल का नैसर्गिक गान नहीं
कौए का घोसला है
जो तमाम उपहासों के बावजूद
कोयल के बच्चों को पोषता है.
हालाँकि दुनिया की नजर में
ये भी एक ढकोसला है.

८-
प्रेम
किसी मजदूर के माथे पर
आँख भर आकाश है
प्रेम
जीवन की सुरंगों में
भोर का प्रकाश है.

९-
प्रेम
मुट्ठी भर कामनाओं का
बिखरा सा नाच नहीं
प्रेम
अतिशीतित ह्रदय को
मोम की आंच है
प्रेम
किसी तोतले बच्चे की
कथाओं का उवाच है.

१०-
प्रेम गुलाब का फूल नहीं
जो देवालय की सीढ़ियों
या रास्तों में
अपनी पंखुड़ियों के नियति पर रोता है
प्रेम निर्जन पड़े कैनवस में
शिरीष का फूल है
जो अपने रेशों से सूरज में
रंग बोता है.

Comments

Popular Posts