सारी जगहें खालीपन से भरी हुई हैं...
बंटवारा ---------- सोयी हुई छत उठकर खड़ी हो जाती है आँगन के बीच दीवार बनकर
अम्मा की देह में बढ़ जाता है नमक बाबा की थाली से घट जाती हैं रोटियां
बच्चे समझ नहीं पाते कौन से मंतर से जागकर उठ गयी हैं छतें और गिरकर सो गये हैं लोग।
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