हम लड़ेंगे साथी लड़ेंगे।

हम लड़ेंगे साथी लड़ेंगे तबतक जबतक जान हमारी है
हम तो लड़ते रहेंगे जबतक ये पहचान हमारी है

सरकारों से नहीं डरेंगे
अब ये ज़ुल्मत नहीं सहेंगे
अपने अपने आप से उठकर
सत्ताओं को टक्कर देंगे

लोकतंत्र के जो बनिए हैं
प्रजातंत्र जिनकी दूकान है
ये जो सबकुछ बेच रहें हैं
उनके जिम्में क्यों मकान है

अपने घर के हम रखवाले ये तो शान हमारी है
हम तो लड़ते रहेंगे साथी जबतक जान हमारी है।

मजलूमों के साथ रहेंगे
लाचारों के हाथ गहेंगे
रोटी कपड़ा अपना हक है
नहीं किसी को लेने देंगे

एक ताल में बात कहेंगे
हम अपने जज़्बात कहेंगे
हमने ख़ुद को पहचाना है
हम अपनी औकात कहेंगे

अब तो ठान लिया है हमने यही उड़ान हमारी है
हम तो लड़ते रहेंगे साथी जबतक जान हमारी है।

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