सारी जगहें खालीपन से भरी हुई हैं...
मेरे आसपास पसरे हुए हैं तमाम दुख पटरियों पर पड़े पत्थरों की तरह
रेल आती है और चली जाती है लोग भी! पत्थर वैसे ही पड़े रहते हैं दुख भी!
© shivam chaubey
Comments
Post a Comment