बरमूडा ट्रैंगल

प्रेम कल्पनाओं की लहरों में तैरता
एक जहाज
जब कभी रुकता है यथार्थ के बंदरगाहों पर
प्रेमी उतर आते हैं
आगे की यात्राओं के लिये चुनते हैं
संभावनाओं के सुखद मोती
अपनी प्रेमिकाओं के सीने से लग
मारते हैं दुखों की मछलियाँ
भरते हैं कंधे के सूखे पोखरों में जल
और मन के लिये जुटाते हैं आहार

लोकिन कभी कभी
होता है यूँ भी कि जहाज
पड़ाव को अनदेखा कर निकल जाता है बहुत दूर बिना रुके
प्रेमियों को नहीं मिलता कोई ठहराव
चलते चलते जहाज फंस जाता है एक ऐसे भंवर में
जहाँ सारी दिशाएँ मिलकर डुबो देती हैं उसे
और वही जगह होती है जहाँ होता है उदासीनता का बरमूडा ट्रैंगल
उस जगह नहीं होता कोई अर्थ मिलने और बिछड़ने का
न ही उम्मीद होती है, न ही इंतज़ार

चाहे अनचाहे, जागे सोये जहाज पहुँच ही जाता है उस जगह
एक न एक बार
क्या होती है वो जगह?
किसी भी भाषा में, किसी भी ग्रह पर
है क्या कोई शब्द जो ठीक ठीक परिभाषित कर सके उस जगह को

नहीं! मेरे दिये शब्द से भिन्न और भी अनेक शब्द हैं
प्रेमियों के पास इससे अलग
और हो भी क्यों न
जब दुनिया भर के प्रेमी मिलकर भी
नहीं दे सके प्रेम की एक सटीक परिभाषा
तो इस उदासीनता को
कैसे ही भर पाएंगे वे

कैसे ही बताएंगे कि क्या जगह है वो
जहाँ सब कुछ सरक जाता है एक अंतहीन अँधेरे में
और खाली रह जाते हैं मन के हाथ

क्या ये जरूरी नहीं
कि दुनिया की सभी भाषाओं में
खोजा जाये एक शब्द
और उसे समझा जाये किसी परीक्षा के मतलब से
उसकी धार से काटी जा सके उदासीनता
और लौटकर आया जा सके
यथार्थ के बंदरगाहों पर वापस
जीवित रहते हुए।


Comments

Popular Posts