तुम्हें एक यात्रा की तरह याद रखूँगा
जैसे गाँव और शहर के बीच
मिलती है पगडण्डी
मैं हमारे सपनों का छोर थामे
तुमसे उसी तरह मिलूँगा
जैसे घने जंगल में मीलों दूर से
प्यासा हिरन सुनता है
झरने की आवाज़
तुम्हें सुनते हुए मैं वही हिरन हो जाऊंगा
तुमसे बात करूँगा तो
हवा की पलकों पर सवार
खुशबुओं की लिपि में
फूल बनकर हिलूँगा
तुम्हारे साथ चलना हुआ तो
तुम्हारे साये की तरह नहीं
बल्कि
किसी सुखद स्मृति की तरह चलूँगा
और यदि दुर्भाग्य से अलग भी होना पड़े
तो तुम्हें प्रेमिका की तरह नहीं
किसी रोमांचक यात्रा की तरह याद रखूँगा।
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